सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !!
दिन के उजालों में भ्रस्टाचार विरोधी प्रश्नों से डरती है !
सरल समस्याओं का जटिल विकल्प निकालती है !
रात के नशे में निर्दोषों को कुचलती है !
पांच साल का करार दिखाती है !
अपने को सब से अच्छा बताती है !
सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !
सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !!
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इस समस्या का शांतिपूर्ण हल निकल सकता था !
४-५ की रात जो भी हुआ उससे मुझे बहुत दुख पहुंचा है !!
समस्या को समाप्त करने का तरीका निंदनीय है !!
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Hum Bhi kuch yun hi itrate hain!!!
जवाब देंहटाएंKhud bhi brastachar karte hain !!
Vote dene samay aankh moond kar voting karte hain !
Logon ko jaat dekhkar apna vote dete hain !!
Last 5 saal ka hisab nahi mangte hain !!!
Corrupt govt ko chunte hain !!!
Aur usi ke khilaf aandolan karte karte hain !!
Hum Bhi kuch yun hi itrate hain!!!
Hum Bhi kuch yun hi itrate hain!!!
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Is samsya ka shantipurn hal nikal sakta hai !
४-५ ki raat jo bhi hua uska muje bhi bahut dukh hai !!
But samasya hamne hi paida kiya hai !!
So jimmedari bhi hamari hai
@अभय - अच्छी टिप्पणी !!
जवाब देंहटाएंहाँ !! सही नेता चुनना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है !!
हम सभी को मालूम है की - " हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा !!" लेकिन केवल इतना ही काफी नहीं है !!
भ्रष्ट लोग हमारे देश की भोले-भाले लोगों के सरल स्वभाव का और समाजिक व्यस्थाओं की कमियों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से फायदा उठाते हुए देश को लूट रहे हैं !!
एक तरफ हमारा देश विश्व बैंक के ऋण के नीचे दबा ही जा रहा है और दूसरे तरफ प्रतिदिन एक नया भ्रष्टाचार का मामला उजागर हो रहा है!!
हमें अपने आसपास और खासकर समाजिक स्तर पर बनी हुई व्यवस्थाओं को भी सुधारना होगा !!
हाँ !! शुरुवात हमें खुद से करनी होगी !! इसके साथ ही हमें अपने समाजिक व्यस्थाओं को भी लगातार सतर्क दृष्टि से विश्लेषण करते रहना होगा और समयनुसार उन व्यस्थाओं में अनुकूल सुधार लाना होगा !!
४-५ की *रात* में हुई कार्यवाही सरकार की संकुचित सोच को ही दर्शाता है !!
सब से पहले तो सत्याग्रही को खुद पाक साफ होना पडेगा। अभी बाबा की कम्पनिओं का व्यौरा भी आने दीजिये फिर देखिये। सरकार और बाबा मे कोई अन्तर नही। फिर सत्याग्रह कैसे सफल होता और जो सत्याग्रह मे बाबा के साथ खडे हैं क्या सब पाक साफ हैं? किसी मे कोई अन्तर नही इसका यही हश्र होना था।हम तो केवल भगवाँ चिले देख कर ही पीछे चले हुये थे अपने अपने स्वार्थ लिये हुये। देश की किसे चिन्ता है?
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