अन्ना का विकल्प

सरकार की संवेदन-हीनता के आगे क्या कर सकते थे अन्ना ? क्या अनशन करने वाले लोगो की जान इतनी सस्ती है की उसको भ्रष्ट सरकार के आगे मरने देते ? भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प यही बचा था ! 
अनशन के मार्ग पर और आगे चल सकते थे पर आन्दोलन का दुखद अंत होता, शायद लोगों का अहिंसा से विश्वास भी उठ जाता ! आशा थी की सरकार में विराजमान तथाकथित बुद्धिजीवी जनता की आवाज़ जो इस आन्दोलन के माध्यम से आ रही है वो सुनेंगे , पर वो तो सत्ता के घमंड की दीवारों के कमरो में कैद हैं ! वक्त आ गया है की सत्ता पर काबिज़ लोगो को वंहा से बेदखल किया जाए और नए सिरे से सरकार और सरकारी योजनाओं का निर्माण किया जाये !
संसद में अन्दर जा कर अपने अधिकारो के लिए लड़ना अन्ना टीम की सकारात्मक सोच को दर्शाता है !अन्ना ने सरकार की चुनौती स्वीकार की है ! मुझे लगता है की अब वक्त आ गया था की देश की जनता जिस नए विकल्प की तलाश कर रही थी उसे वो दिया जाये ! देश के २२ सम्मानित व्यक्तियों ने एकमत हो कर अगर अन्ना को आग्रह किया तो अन्ना ने भी तुरंत आग्रह न स्वीकार करते हुए जनता की राय मांगी और रायशुमारी के बाद फैसला किया ! 

भविष्य में किसी भी जनांदोलन को धक्का नहीं लगेगा बल्कि एक मिसाल होगा की अगर सत्तानशीं सत्ता के मद में चूर होकर जनता की आवाज़ नहीं सुनेंगे तो उनकी सत्ता कब उनके पैरों तले खिसकने लगेगी उनको भी नहीं पता चलेगा !

1 टिप्पणी:

  1. उनका निर्णय कितना प्रभावशाली होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है
    देखते हैं
    सुंदर लेख !

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