आपका मनोज
आज का भारत
आज का भारत
खुले खेत, खलियान और बागीचों से कहीं दूर,
न्यूनतम सुविधाओं में गुजर-बसर करते हुए, अपने संतानों के उज्जवल भविष्य के लिए जद्दोजहद करते हुए,
महानगरों की तंग गलियों में
बसता है |
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