पता नहीं क्यों पर बहुत तरस आ रहा है उन लोगों पर तो आशाराम की पूजा करते थे । अपने घर के मंदिरों में आशाराम की फोटो के आगे शीश झुकाते थे ! आशा करता हूँ की वो सभी इस सदमे से जल्दी उबर जायेंगे और फिर कभी इन बाबा जैसे लोगों के चक्कर में नहीं पड़ेंगे । यह उन सभी लोगों के लिए भी संकेत है जो अपने कर्म से ज्यादा भरोसा इन तथाकथित बाबा लोगों में करते हैं ।
नौकरी नहीं मिली, नौकरी सही नहीं चल रही, मनचाहा प्रेमी न मिलना, शादी नहीं हुई, शादी में अनबन, संतान का न होना, संतान का अस्वस्थ्य होना , मानसिक स्थिति सही न होना इत्यादि इत्यादि कारण मिलेंगे जिसमे आपको इन बाबा के शरण में जाने के लिए प्रेरित किया जायेगा ! मंदिरों, मस्जिदों , गिरजाघरों और गुरुद्वारों में यह बाबा लोग अत्याधिक पाए जाते हैं !
उनके उपाय भी काफी रोचक होते हैं , जैसे फला दिन यह करो , फ़ला दिन यह खाओ , फ़ला दिन इस जगह जाओ इत्यादि इत्यादि !!
हमारा मीडिया भी इसके लिए जिम्मेदार है ! आप सभी ने देखा था न की जिस बाबा का मीडिया ने विरोध किया था वही बाबा आज उन्ही चैनलों पर प्रकट हो गए हैं !
एक बाबा तो स्त्री वेश ही धारण कर लिए !!
हमारी सरकारी व्यवस्थाएँ भी आँख मूंदे सब चलने देती हैं ! जब सर के ऊपर से पानी निकल जाता है तब होश में आती हैं !
पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हमारी अपनी है !!
अब जब भी कोई बाबा सामने आये तो सतर्क रहिएगा !
जैसे ही हम अपने कर्मों का अगर खुद आकलन करने लगेंगे तो इन धर्म के तथाकथित ठेकेदारों से समाज को मुक्ति मिल जाएगी और समाज का स्तर भी सुधर जाएगा !
मेरा मानना है की जो भी राह लोकतंत्र से होकर नहीं गुजरती है , हमें उनसे और उनसे मिलने वाली मंजिलों से बचना चाहिए !!
नौकरी नहीं मिली, नौकरी सही नहीं चल रही, मनचाहा प्रेमी न मिलना, शादी नहीं हुई, शादी में अनबन, संतान का न होना, संतान का अस्वस्थ्य होना , मानसिक स्थिति सही न होना इत्यादि इत्यादि कारण मिलेंगे जिसमे आपको इन बाबा के शरण में जाने के लिए प्रेरित किया जायेगा ! मंदिरों, मस्जिदों , गिरजाघरों और गुरुद्वारों में यह बाबा लोग अत्याधिक पाए जाते हैं !
उनके उपाय भी काफी रोचक होते हैं , जैसे फला दिन यह करो , फ़ला दिन यह खाओ , फ़ला दिन इस जगह जाओ इत्यादि इत्यादि !!
हमारा मीडिया भी इसके लिए जिम्मेदार है ! आप सभी ने देखा था न की जिस बाबा का मीडिया ने विरोध किया था वही बाबा आज उन्ही चैनलों पर प्रकट हो गए हैं !
एक बाबा तो स्त्री वेश ही धारण कर लिए !!
हमारी सरकारी व्यवस्थाएँ भी आँख मूंदे सब चलने देती हैं ! जब सर के ऊपर से पानी निकल जाता है तब होश में आती हैं !
पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हमारी अपनी है !!
अब जब भी कोई बाबा सामने आये तो सतर्क रहिएगा !
जैसे ही हम अपने कर्मों का अगर खुद आकलन करने लगेंगे तो इन धर्म के तथाकथित ठेकेदारों से समाज को मुक्ति मिल जाएगी और समाज का स्तर भी सुधर जाएगा !
मेरा मानना है की जो भी राह लोकतंत्र से होकर नहीं गुजरती है , हमें उनसे और उनसे मिलने वाली मंजिलों से बचना चाहिए !!
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