कल सुबह मैं अपने चाचा के साथ मुम्बा देवी और सिद्धि विनायक मन्दिर गया | बहुत लम्बी लम्बी कतार मैं लोग अपनी बारी का इन्तजार कर के लोग दर्शन कर रहे थे। मुझे लगा की मैं सिर्फ़ एक मन्दिर ही जा पाऊंगा पर थोड़ा सा जुगत लगाने से हम लोगों ने अपना कतार में लगने वाला समय को बचा लिया।
यह दोनों मन्दिर बहुत प्रसिद्ध हैं । आशा करता हूँ की आने वाले समय में अपने प्रियजनों को भी वहां दर्शन कराने के लिए ले जाऊं। पहले मैं जब भी किसी मन्दिर जाता तो कुछ भी नही माँगता सिर्फ़ जो भी दिया है उसके लिए धन्यवाद देता पर अब कुछ अनुरोध भी कर लेता हूँ । जो भी हो मुझे ऐसी जगह जाना बहुत ही पसंद है और मेरा अशांत मन कुछ देर के लिए ही सही पर शांत
हो जाता है ।
---------- मुसाफिर हूँ मैं यारों !!
great to know your thoughts. thanks
जवाब देंहटाएंक्यूँकि जो भी तुमने चाह होगा, सच्चे दिल से चाहा होगा, मेरी इश्वर से यही प्राथना है कि तुम्हारे हर अनुरोध को शीघ्र ही स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंसंकल्प.