कल शाम को मैं अयप्पा मन्दिर गया था । हमारे ऑफिस के निकट है, लगभग २० मिनट का पैदल रास्ता है। मन्दिर के मध्य मैं अय्यप्पा जी हैं । दायीं तरफ़ देवी जी हैं और बायीं तरफ़ गणेश जी हैं । इनदोनों का मुख अयप्पा जी के विपरीत है । मुंबई आने पर ही मैं इस तरह के मन्दिर रचना से वाकिफ हो पाया हूँ । मैं अक्सर शशी सर के साथ यहाँ आता हूँ । एकदम शांत वातावरण मुझको काफी आकर्षित करता है। यहाँ आने से पहले मैं इतना मन्दिर नहीं जा पाता था ।
अब किसी नए जगह जाने का इरादा है।
अब किसी नए जगह जाने का इरादा है।
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जवाब देंहटाएंआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
जवाब देंहटाएंचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी