तलाश

हिन्दी दिवस पर की गई प्रस्तुति :-

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि मनोज तुम शादी कब करोगे ? 
यह तो मुझे भी पता नहीं, हाँ मुझे कैसी जीवनसाथी कि तलाश है वह मुझे अच्छी तरह मालूम है :) |


वैधानिक चेतावनी : निम्नलिखित पंक्तियों का किसी से कोई लेने देना नहीं है | अगर कहीं ऐसा पाया जाता है तो इसे महज संयोग समझा जायेगा | :) :) 



रहे जो मेरे संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

हँसा दे मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझसे प्यार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

सुने जो मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

चले जो मेरे संग मिलाकर कदम से कदम हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बातों में रहे मिठास जिसके हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||


हँसे मेरे भोलेपन पर जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रखे जो मेरा ख्याल हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बाँट सकूं जिसके संग में अपना दर्द हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझसे तकरार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसे रख सकूं अपने दिल में हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

कर सकूं जिसके लिए जाँ निसार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे मीठी-मीठी बात जो मुझसे हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रोके-टोके मुझे गलतियाँ करने से जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझको बर्दाश्त हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बिन कहे जो समझ जाए मेरे दिल की बात हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जोड़े रखे जो मेरा घर-बार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसके गोद में रखकर सर पा सकूं सुकून हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बढ़ते जाए प्यार जिसके संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जीवन के अंधेरों से लड़े जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसको समझ सकूं में हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बढ़ाए जो हौसला मेरा हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जीवन का हर पल बांटे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रह सकूँ बिंदास जिसके संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पा सकूँ जिसको मैं अपने आसपास हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

हो सिर्फ मेरे लिए जिसकी अदाएं हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

मुझसे ज्यादा जाने मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पहने जो ढंग के कपड़े हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

दोस्त बन कर रहे जो हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

तन्हाई भी बात सके जो मेरे संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

उमंग से भरे रहे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जो पहने ढंग के लिबास हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जो भोजन का न करे अपमान हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसकी हाँ में न हो ना हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बिन पिये बहक जाऊं जिसके नशे में हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पीर पराई समझ सके जो हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

कम से कम खर्चे मैं रह सके जो हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जात-पात, धर्म और भाषा के आधार पर जो न करे भेदभाव हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

घन्यवाद !!

आशा करता हूँ कि चिट्ठा- जगत  के विद्वान भी इस रचना को पसंद करेंगे ||



-- आपकामनोज

2 टिप्‍पणियां: