आपका मनोज
इत्तेफाक
आपका इस तरह मेरे दिल के करीब आना इत्तेफाक न था |
नज़रों से नज़रों का मिलना इत्तेफाक न था |
कल शाम को आपका और हमारा टकराना इत्तेफाक न था |
1 टिप्पणी:
pinchhitter
26 अक्टूबर 2010 को 6:37 pm बजे
कल शाम को ??? वाह भाई वाह..
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