आपका मनोज
मैं तेरा चेहरा न पढ़ पाता
तेरे बोले झूठ को मैं यूँही न पकड़ पाता !
काश!! मैं तेरा चेहरा न पढ़ पाता !!
1 टिप्पणी:
Amit Chandra
9 फ़रवरी 2011 को 10:39 pm बजे
very good. keep it up.
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very good. keep it up.
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