शांत किनारे से मिल जाऊं

लहरों से लड़ने वाला मुसाफिर हूँ मैं,
दरिया को पार करने वाला मुसाफिर हूँ मैं ||

फिर भी एक शांत किनारे से मिल जाऊं मैं,
यह आरजू रखता हूँ मैं ||

1 टिप्पणी:

  1. आमीन !!

    achcha laga sir .....
    meri najar me ....

    है इम्तिहान लेती ये लहरें
    ग़र हो हौंसला खुद में
    तो खुद किनारों तक
    छोड़ती हैं ये लहरें

    जवाब देंहटाएं