शराबी

मुझसे कुछ लोगों ने पूछा की तुम बीयर क्यों पीते हो ?  जवाब में मुझे साहिर की यह नज्म याद आ गई :--

गम इस कदर बढ़े की में घबरा के पी गया |
इस दिल की बेबसी पे तरस खा कर पी गया |
ठुकरा रहा था मुझको बड़ी देर से जंहा |
मैं आज सब जंहा को ठुकरा के पी गया ||

यह जवाब मुझे काफी अच्छा लगा | वैसे मैं इतना बड़ा पियक्कड़ नहीं हूँ  ;) ||

हरिवंश जी ने भी तो कहा है --
बैर  बढ़ाते  मंदिर  मस्जिद  , मेल  कराती  मधुशाला || 

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