आपका मनोज
मैं क्या करना चाहता हूँ
मैं वो नहीं करना चाहता हूँ जिससे दुनिया मेरी मुट्ठी में आ जाए,
मैं वो करना चाहता हूँ जिससे लोग मुझे अपनी बाँहों में भर लें ||
1 टिप्पणी:
शिवनाथ कुमार
25 सितंबर 2010 को 5:51 pm बजे
badhiyaa !!
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
badhiyaa !!
जवाब देंहटाएं