मैं कम बोलता हूँ

लोग कहते हैं ,
मैं कम बोलता हूँ !!

हाँ, मैं कम बोलता हूँ ,
बोलने से पहले अनेक बार तौलता हूँ !!

क्या कहना है,
यह सोचता हूँ !!
मैं कम बोलता हूँ , मैं कम बोलता हूँ !!

सामने वाले को परख कर बोलता हूँ !!
मैं कम बोलता हूँ , मैं कम बोलता हूँ !!

निकल न जाए कोई ऐसी बात,
जिससे टूट जाए साथ ,
ये मैं सोचता हूँ,
मैं कम बोलता हूँ , मैं कम बोलता हूँ!!

अपने राज मैं कम खोलता हूँ,
मैं कम बोलता हूँ , मैं कम बोलता हूँ !!

माँ

माँ

बादल का पर्वत के मस्तक को चूमना ,
माँ के स्नेह स्पर्श की याद दिलाता है ||
जल बन कर पर्वत के तल को चूमना ,
माँ के समर्पण भाव की याद दिलाता है ||

लालबागचा राजा का दर्शन

दिनांक २५ को मैं अपने ४ दोस्तों के साथ मुंबई के सबसे प्रसिद्ध गणेश उत्सव को देखने लालबाग गया | मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में यह उत्सव बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है | बाजार की रौनक देखते ही बनती है | घरों के अलावा सार्वजनिक स्थलों पर भी लोग मिलकर सुंदर - सुंदर पंडालों में गणेश जी की स्थापना करते हैं | लोकमान्य जी ने सार्वजनिक रूप में इस उत्सव को मानाने की शुरूवात की थी | इसके माध्यम से जनता में एकता की भावना को प्रबल करने में सहायता मिलती है साथ में अपनी बात को आसानी से अवाम तक पहुँचाया जा सकता है |

लालबाग में प्रशासन की व्यवस्था काफी चुस्त थी | व्यवस्थित ढंग से भीड़ से निपटा जा रहा था | २ घंटे से भी कम समय में हमने दर्शन कर लिया | गणेश जी की विशालकाय प्रतिमा बहुत ही सुंदर थी और सजीव सी प्रतीत होती थी | स्वयंसेवकों के योगदान के बिना यह उत्सव असंभव है | मुझे यह सब बहुत भाया और आने वाले वर्षों में भी मैं दर्शन के लिए जाना चाहूँगा |


मुसाफिर हूँ मैं यारों ......................... :)

समय का फेर है ...

समय का फेर है , चारों ओर अंधेर है !!
खुद ही कोई सुराख़ करता हूँ या कोई नया चिराग जलाता हूँ ||
अपने लिए रोशनी का कोई नया इंतजाम बनाता हूँ ||

सवाल का जवाब मालूम है फिर भी दिया नहीं जाता |
कहीं टूट न जाये दिल किसी का इसलिए कहा भी नहीं जाता ||

हाँ भी दिल तोड़ती है , ना भी दिल तोड़ती है |
मन बहुत बैचैन है , अब सहा भी नहीं जाता ||

समय का फेर है , चारों ओर अंधेर है ||

दुखी मन मेरे ........................................

जिंदगी आज कल

प्रिय मित्रगणों,
  • जिंदगी का सफर भी कितना उतार-चढ़ाव भरा होता है | कभी हमें यह ढेर सारी खुशी दे जाता है और कभीइतना गम की शरीर निर्जीव सा हो उठता है | मुझे अब दोनों ही पल जीने में मजा आता है और प्रयास करता हूँ की हर पल कोसहजता से जियूं | पर अभी ऐसा हो नही पाता है
  • हमारे देश को स्वतंत्र हुए ६१ वर्ष से भी अधिक हो गया है पर वर्तमान में घटित कुछ घटनाओं ने मुझे यह विचार करने पर मजबूर कर दिया की कौन आजाद है --
    हरियाणा में 'जाति' के विवाद में हुआ बवाल, न्यायालय के आदेश की अवमानना| क्या यही सपना था हमारे स्वतंत्रता सैनानियों का ? मुझे कभी-कभी बहुत आश्चर्य होता है की स्नातक ( में तो उनको स्नातक मानता ही नही ) किए हुए लोग भी काले-गोरे , जाति और अन्य कारणों से भेद-भावः करते हैं और समर्थन करते हैं | हम बातें तो बड़ी-बड़ी करते हैं पर जब असल वक़्त आता है तो किसी कोने में दुबक कर बैठ जाते हैं | किसी को अपने आपको किसी उच्च वर्ग या जाति का कहलाने का घमंड है तो किसी को सरकार की सुविधा पाये विशेष वर्ग से होने का गुमान है | हमें अभी और कितना वक़्त लगेगा "आजाद" होने में | काफी कुछ हुआ है पर बहुत कुछ करना बाकी है | मौकापरस्त नेताओं ने सोशल इंजीनियरिंग के आड़ में भेदभाव फैलाना शुरु कर दिया है | ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसितदेश में भी हमें रंगभेद देखने को मिल रहा है | प्यार-मोहबत में ही मेरे कितने मित्रों का दिल टुटा वजह सिर्फ़ जाति का समान नहीं होना | बहुत मोह-माया है ................
  • हाल में आयी CAG रिपोर्ट से पता चलता है की हमारे सेना में कितना भ्रष्टाचार है | पुराना युद्धपोत ख़रीदा गया वो भी नए के दाम से ६०% अधिक दाम पर | यह कोई मामूली जुर्म नहीं है | देश की सुरक्षा के साथ खेला जा रहा है | आशा करता हूँ की दोसी आफिसरों पर सख्त कार्यवाही होगी |
जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर ............................................

मुंबई दर्शन

१ जुलाई को मैं अपने माता, पिता और भाई के साथ मुंबई दर्शन के लिए निकला | हमने कार्निवाल मुंबई दर्शन बस सेवा की सहायता से यह सफर पूरा किया | खास बात यह है की हमें यह बस सेवा अपने घर के समीप से मिल जाती है | सफर का आरम्भ गेट वे ऑफ़ इंडिया ( भारत का प्रवेश द्वार ) से हुआ | हमने करीब ३० मिनट वंहा बिताये | हमने ताज होटल पर हुए आतंकवादी हमले के बारे मैं आपस मैं चर्चा किया | इसके बाद हम लोग तारापुर मत्स्यालय गए पर बिजली ना होने क कारण हमे वंहा से लौटना पड़ा | फ़िर हम हँगिंग और बूट उद्यान गए | गाइड हमें रास्ते मैं पड़ने वाले स्थलों के बारे मैं जानकारी देते जा रहा था | सफर का अगला मंजिल महालक्ष्मी मन्दिर था | इसके बाद हम वरली इलाके मैं अटरिया मॉल में 4d फ़िल्म देखने गए | २५ मिनट की फ़िल्म का सभी ने खूब लुत्फ़ उठाया | इसके बाद हम नेहरू विज्ञानं केन्द्र गए | केन्द्र काफी भव्य और विशाल है | यंहा पर विज्ञानं सम्बंधित अनेकों प्रयोगों के मॉडल प्रर्दशित किया गया है | ४० मिनट में हम इस जगह का केवल अवलोकन ही कर पाये | हमने बांद्रा वरली सी लिंक पर सफर का मज़ा लिया | गाइड ने हमें रास्ते में पड़ने वाले सभी फ़िल्म कलाकारों के बंगलों को भी दिखाया | सफर का आखिरी बिन्दु जुहू चौपाटी था | शाम का समय चौपाटी पर हमने सागर के किनारे काफ़ी समय व्यतीत किया | सागर की लहरें , ठंडी ठंडी हवा और चटपटा नाश्ते का हम सभी ने भरपूर अनुभव किया | शाम के ७ बज चुके थे बस अब सबको जल्दी से अपने घर वापस पहुँचने की चाहत थी |

बिना बस सर्विस के यह सफर असंभव था | अकेले एक-एक जगह जाना मंहगा पड़ता और काफी समय भी लगता | मुंबई की भीड़ के बारे में तो आप सब लोग जानते ही हैं |

मुसाफिर हूँ मैं यारों .....

NCOSS-09

हमारे संस्थान सीडैक मुंबई, खारघर शाखा में दिनांक २५ और २६ मई को नेशनल कांफ्रेंस ओन ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर आयोजित हुआ| यह कांफ्रेंस ओपन सोर्स में कार्य कर रहे व्यक्ति, संस्थानओं को एक मंच पर लाने का सफल प्रयास था |
कार्यक्रम का प्रारम्भ द्वीप प्रज्जवलित कर के किया गया | डॉ दीपक फाटक ( आई आई टी बॉम्बे ) ने उद्घाटन भाषण में कहा - हमारे देश को ओपन सोर्स संसार में प्रमुख भागीदारी करने की आवश्यक्ता है | श्री रामकृष्णन ( मुख्य निदेशक, सीडैक ) ने अपने विचार रखते हुए कहा - फ्री ओपन सोर्स संसार में हो रहे त्वरित बदलावों पर अधिक ध्यान देते हुए हमारे
उद्योगों को भी उसके साथ चलना होगा | प्रोफेसर प्रभु रामचंद्रन ( आई आई टी बॉम्बे ) ने "पायथन भाषा का वैज्ञानिक उपयोगों में योगदान" के सन्दर्भ में अपना व्याख्यान दिया | कांफ्रेंस में चुने गए २५ लेखों के प्रतिभागियों ने अपने कार्यों को प्रस्तुत किया | लेख ई-गवर्नमेंट, शिक्षा, सॉफ्टवेयर स्थानीयकरण, स्वास्थ्य , कोलाबोरेशन टेक्नोलॉजी आदि विषयों से सम्बंधित थे |

बेलापुर अयप्पा मन्दिर

प्रिय दोस्तों ,
कल शाम को मैं अयप्पा मन्दिर गया थाहमारे ऑफिस के निकट है, लगभग २० मिनट का पैदल रास्ता हैमन्दिर के मध्य मैं अय्यप्पा जी हैंदायीं तरफ़ देवी जी हैं और बायीं तरफ़ गणेश जी हैंइनदोनों का मुख अयप्पा जी के विपरीत हैमुंबई आने पर ही मैं इस तरह के मन्दिर रचना से वाकिफ हो पाया हूँमैं अक्सर शशी सर के साथ यहाँ आता हूँएकदम शांत वातावरण मुझको काफी आकर्षित करता है। यहाँ आने से पहले मैं इतना मन्दिर नहीं जा पाता था ।

अब किसी नए जगह जाने का इरादा है।









ईश्वर दर्शन

कल सुबह मैं अपने चाचा के साथ मुम्बा देवी और सिद्धि विनायक मन्दिर गया | बहुत लम्बी लम्बी कतार मैं लोग अपनी बारी का इन्तजार कर के लोग दर्शन कर रहे थे। मुझे लगा की मैं सिर्फ़ एक मन्दिर ही जा पाऊंगा पर थोड़ा सा जुगत लगाने से हम लोगों ने अपना कतार में लगने वाला समय को बचा लिया।
यह दोनों मन्दिर बहुत प्रसिद्ध हैं । आशा करता हूँ की आने वाले समय में अपने प्रियजनों को भी वहां दर्शन कराने के लिए ले जाऊं। पहले मैं जब भी किसी मन्दिर जाता तो कुछ भी नही माँगता सिर्फ़ जो भी दिया है उसके लिए धन्यवाद देता पर अब कुछ अनुरोध भी कर लेता हूँ । जो भी हो मुझे ऐसी जगह जाना बहुत ही पसंद है और मेरा अशांत मन कुछ देर के लिए ही सही पर शांत
हो जाता है ।
---------- मुसाफिर हूँ मैं यारों !!

मेरा पहला लेख !!

प्रिय मित्रों,

आज मुझे लगा की अपने फुरसत के पलों में कुछ ऐसा किया जाए जिससे मुझे कुछ आनंद मिले और साथ में अपनी यादों को भी संजो सकूं |
यह तो मेरा जूनून और समय ही बताएगा की में इस ब्लॉग का कितना उपयोग करता हूँ। इस माध्यम से में अपनी बहुत सी बात बिना किसी हिचकिचाहट से रख सकूँगा ऐसी मेरी आशा है।

आपका

मनोज