NCOSS-09

हमारे संस्थान सीडैक मुंबई, खारघर शाखा में दिनांक २५ और २६ मई को नेशनल कांफ्रेंस ओन ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर आयोजित हुआ| यह कांफ्रेंस ओपन सोर्स में कार्य कर रहे व्यक्ति, संस्थानओं को एक मंच पर लाने का सफल प्रयास था |
कार्यक्रम का प्रारम्भ द्वीप प्रज्जवलित कर के किया गया | डॉ दीपक फाटक ( आई आई टी बॉम्बे ) ने उद्घाटन भाषण में कहा - हमारे देश को ओपन सोर्स संसार में प्रमुख भागीदारी करने की आवश्यक्ता है | श्री रामकृष्णन ( मुख्य निदेशक, सीडैक ) ने अपने विचार रखते हुए कहा - फ्री ओपन सोर्स संसार में हो रहे त्वरित बदलावों पर अधिक ध्यान देते हुए हमारे
उद्योगों को भी उसके साथ चलना होगा | प्रोफेसर प्रभु रामचंद्रन ( आई आई टी बॉम्बे ) ने "पायथन भाषा का वैज्ञानिक उपयोगों में योगदान" के सन्दर्भ में अपना व्याख्यान दिया | कांफ्रेंस में चुने गए २५ लेखों के प्रतिभागियों ने अपने कार्यों को प्रस्तुत किया | लेख ई-गवर्नमेंट, शिक्षा, सॉफ्टवेयर स्थानीयकरण, स्वास्थ्य , कोलाबोरेशन टेक्नोलॉजी आदि विषयों से सम्बंधित थे |

बेलापुर अयप्पा मन्दिर

प्रिय दोस्तों ,
कल शाम को मैं अयप्पा मन्दिर गया थाहमारे ऑफिस के निकट है, लगभग २० मिनट का पैदल रास्ता हैमन्दिर के मध्य मैं अय्यप्पा जी हैंदायीं तरफ़ देवी जी हैं और बायीं तरफ़ गणेश जी हैंइनदोनों का मुख अयप्पा जी के विपरीत हैमुंबई आने पर ही मैं इस तरह के मन्दिर रचना से वाकिफ हो पाया हूँमैं अक्सर शशी सर के साथ यहाँ आता हूँएकदम शांत वातावरण मुझको काफी आकर्षित करता है। यहाँ आने से पहले मैं इतना मन्दिर नहीं जा पाता था ।

अब किसी नए जगह जाने का इरादा है।









ईश्वर दर्शन

कल सुबह मैं अपने चाचा के साथ मुम्बा देवी और सिद्धि विनायक मन्दिर गया | बहुत लम्बी लम्बी कतार मैं लोग अपनी बारी का इन्तजार कर के लोग दर्शन कर रहे थे। मुझे लगा की मैं सिर्फ़ एक मन्दिर ही जा पाऊंगा पर थोड़ा सा जुगत लगाने से हम लोगों ने अपना कतार में लगने वाला समय को बचा लिया।
यह दोनों मन्दिर बहुत प्रसिद्ध हैं । आशा करता हूँ की आने वाले समय में अपने प्रियजनों को भी वहां दर्शन कराने के लिए ले जाऊं। पहले मैं जब भी किसी मन्दिर जाता तो कुछ भी नही माँगता सिर्फ़ जो भी दिया है उसके लिए धन्यवाद देता पर अब कुछ अनुरोध भी कर लेता हूँ । जो भी हो मुझे ऐसी जगह जाना बहुत ही पसंद है और मेरा अशांत मन कुछ देर के लिए ही सही पर शांत
हो जाता है ।
---------- मुसाफिर हूँ मैं यारों !!

मेरा पहला लेख !!

प्रिय मित्रों,

आज मुझे लगा की अपने फुरसत के पलों में कुछ ऐसा किया जाए जिससे मुझे कुछ आनंद मिले और साथ में अपनी यादों को भी संजो सकूं |
यह तो मेरा जूनून और समय ही बताएगा की में इस ब्लॉग का कितना उपयोग करता हूँ। इस माध्यम से में अपनी बहुत सी बात बिना किसी हिचकिचाहट से रख सकूँगा ऐसी मेरी आशा है।

आपका

मनोज