देश सेवा की लेकर आड़ !
चमकाते वो अपना व्यापार !
किया पहले अर्थव्यवस्था का तार तार !
हुई महंगाई अपरमपार !
लाकर ऍफ़.डी.आई तैयार किया बिचोलियों का नया बाज़ार !
दो ही विकल्प बचें हैं मेरे यार !
घुट-घुट कर मरना करो स्वीकार !
या
बन जाओ होशियार !
अन्ना और अरविन्द की तरह करो तुम भी प्रतिकार ! !
चमकाते वो अपना व्यापार !
किया पहले अर्थव्यवस्था का तार तार !
हुई महंगाई अपरमपार !
लाकर ऍफ़.डी.आई तैयार किया बिचोलियों का नया बाज़ार !
दो ही विकल्प बचें हैं मेरे यार !
घुट-घुट कर मरना करो स्वीकार !
या
बन जाओ होशियार !
अन्ना और अरविन्द की तरह करो तुम भी प्रतिकार ! !