उत्तराखंड के दोस्तों से मेरी अपील

पिछले कई दिनों  से उत्तराखंड में फंसे लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुँचाने और वहाँ से निकालने के लिए सेना के जवान युद्धस्तर पर लगे हुए हैं । उत्तराखंड के दोस्तों से मेरी अपील है की आप लोग जितना हो सके त्रासदी में फंसे लोगों की मदद करें । 

उत्तराखंड


पहाड़ों ने दिखाया रूप प्रचंड !
चूर-चूर किया मनुष्य का घमंड !
खंड खंड हुआ उत्तराखंड !!


बस अब यही कामना है : http://www.youtube.com/watch?v=RduZOFA7Rs4

बाल श्रम

दोस्तों,
आज बाल श्रम मुक्त विश्व दिवस है। 
हमें अपने दैनिक जीवन में अक्सर अपने इर्दगिर्द छोटे बच्चे श्रम/मजदूरी  करते हुए या भीख माँगते हुए दिख जाते हैं । कभी मैं उनको अनदेखा कर देता हूँ , कभी उन बच्चों के साथ बात करके उनको पढ़ने  के लिए प्रेरित करता हूँ,  कभी उनकी स्थिति को चुपचाप तमाशबीन की तरह देखते हुए अपनी लाचारी को कोसता हूँ । 

हाँ! एक बात और,  दुःख होता है जब कई पढ़े लिखे, समृद्ध  लोग भी अपने यहाँ बालश्रम करवाते हैं, और ऐसा जब अपने प्रिय दोस्तों के यहाँ देखता हूँ तो मन और भी खिन्न हो जाता है।

जब कभी इस मुद्दे पर अपने साथियों में बहस चलती है तो अक्सर ऐसे अनेकों तर्क सामने  आते  हैं  - की उनकी किस्मत ही ऐसी है ,  उनके पिछले जनम के पाप है या उनके अभिभावक के कर्म इसके लिए जिम्मेदार हैं ।
कभी - कभी यह तर्क भी आता है की मुसलिमों ने अपनी आबादी बढाई है, अमुक की वजह से बालश्रम बढ़ा है।  जिस वजह से हिन्दुओं को भी अपनी आबादी बढ़ाना चाहिए, या ठीक इसका विपरीत । 

मेरा मन कभी भी इन तर्कों से संतुष्ट नहीं हुआ । मैं हमेशा यही मनाता हूँ की हम एक लोकतंत्र व्यवस्था में रहते हैं और एक अच्छे लोकतंत्र में सभी को सम्मान से जीने के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं का पूर्ण परिपालन होना बहुत महत्वपूर्ण है ।  बच्चे हमारे देश की निधि हैं । बाल श्रम इस निधि को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँचाता है ।

जिस युवा वर्ग के बढ़ते अनुपात पर हम अभी  गर्व करते हैं, यही वर्ग अगर अशिक्षित रह गया तो भविष्य में यही वर्ग आगे जाकर देश की प्रगति में बाधा बनेगा । उदहारण के लिए आप सभी मेरी इस बात से सहमत होंगे की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अधिकांश अशिक्षित ही होते होते हैं , नक्सलवाद में अधिकांश अशिक्षित युवा ही शामिल होता है ।

हमारे देश के लोकतंत्र व्यवस्थाओं में  उच्च पदों  पर आसीन लोगों को बालश्रम की समस्या पर गंभीर विश्लेषण करना होगा । लोकतंत्र में बाल निधि किसमत या किसी धर्मविशेष के आधीन नहीं होनी चाहिए, अपितु  ऐसी उचित और कारगर व्यवस्थाएं , जो बाल  निधि की दिशा और दशा सुधारे, के अंतर्गत होनी चाहिए ।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा की हर बच्चा कम से कम बारहवीं तक बिना बालश्रम किये पढ़े । गरीब और अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए और कारगर व्यवस्थाएं बनें  । हमारे सालाना वित्तीय बजट में इन व्यवस्थाओं के लिए उचित धन आवंटित हो और समय समय पर इन व्यवस्थाओं का आकलन हो ।

निजी स्तर पर हमें देखना होगा की हमारे घर, परिवार और आसपास के सभी बच्चे पढ़ाई करें,क्योंकि शिक्षा से ही बालक को उसके जीवन को सही ढंग से जीने की राह मिलती है,  और कोई  बाल मजदूरी न करवाए । बाल विकास मे लगे सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं और उनके कार्यक्रमों से परिचित हों । संभव हो सके तो किसी एक गरीब बच्चे की पढाई पूर्ण करने में यथासंभव मदद करें ।


कुछ सम्बंधित लिंक :
http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/06/130612_ilo_child_labourers_ap.shtml
http://www.ilo.org/ipec/Campaignandadvocacy/WDACL/lang--en/index.htm
http://www.ilo.org/ipec/Regionsandcountries/Asia/India/WCMS_203644/lang--en/index.htm
भारत में बालश्रम की स्थिति : http://en.wikipedia.org/wiki/Child_labour_in_India
इस विषय पर मेरा एक पुराना ब्लाग पोस्ट :  http://aapkamanoj.blogspot.in/2010/12/blog-post.html
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आपका
मनोज 

आज का भारत

आज का भारत खुले खेत, खलियान और बागीचों से कहीं दूर, न्यूनतम सुविधाओं में गुजर-बसर करते हुए,  अपने संतानों के उज्जवल भविष्य के लिए जद्दोजहद करते हुए,  महानगरों की तंग गलियों में बसता है |