बिल्लो रानी


विगत दिसंबर माह के पहले हफ्ते में एक बिल्ली ने हमारे घर ( किराये का ) को अपना आशियाना बनाया ! पहले दिन  मैंने उसको घर के हाल में फ्रीज़ के बगल में विराजमान पाया ! उस समय मैंने उसे  पानी डाल कर भगा दिया ! अगले दिन झाड़ू पोछा करने वाली बाई रिहाना की नजर फ्रीज़ के बगल में रखे हुए पुराने लकड़ी के बक्से में बिल्ली और उसके तीन बच्चों पर गई !! वो हम पर बहुत हँसी !  असल में मेरा घर तीसरी मंजिल पर है !! कुछ खिड़कियाँ  टूटी फूटी हैं !

बरहाल जो भी हो बिल्लो रानी को हमारा घर पसंद आ गया था सो उसने बुलंद भाव से अपने नवजात बच्चों के साथ अपना डेरा फ्रीज़ के बगल में रखे उस बक्से में जमा लिया ! हमारा घर अक्सर खाली रहता है ! अतः उसके लिए इससे बेहतरीन और सुरक्षित जगह  कोई और हो ही नहीं सकती थी !

शुरुआत में मुझे अच्छा नहीं लगा ! मैंने अपने दिमाग के सारे घोड़े दौड़ा दिए की कैसे बिल्लो रानी से मुक्ति पाई जाए ! जब भी फ्रीज़ खोलूँ तो बिल्लो मैडम बक्से में से उतरकर निरीक्षण  करने के लिए अवतरित हो जाती ! 
मैंने जानबूझ कर वो खिड़की खोल दी जिससे बिल्लो रानी आती जाती थी ! एकबार बिल्लो रानी की गैर मौजूदगी में  मैंने सोचा की यह बेहतरीन मौका है बिल्लो रानी के बच्चों को बाहर बालकनी में कर देता हूँ !  बक्से के अन्दर बेफिक्र बच्चों पर नजर गई तो मेरा इरादा बदल गया ! असल में बाहर ठण्ड काफी थी और बिल्लो रानी के बच्चे अभी काफी छोटे और कमजोर थे और उनकी आँखे अभी खुली नहीं थी ! मेरी हिम्मत न हुई उनको बाहर  बालकनी में  रखने की !  मैं घर में अपने साथीयों को अपनी बच्चों को  बाहर निकालने की योजना तो बताता पर उस अमल नहीं करता ! दरअसल उन सभी को मेरे हाव-भाव से  मालूम हो गया था की मैं  जो कह रहा हूँ वो मैं करने वाला नहीं हूँ ! मेरे अन्दर अब बिल्लो रानी के प्रति कोई द्वेष न था और ना कोई डर ! हाँ, एक बात जरुर मैंने  बिल्लो रानी और उसके बच्चों को कभी कुछ खाने को नहीं दिया ! मैं उनके नैसर्गिक गुण को कोई नुक्सान नहीं पहुँचाना चाहता हूँ !

बिल्लो रानी ने धीरे धीरे मुझसे दोस्ती करना शुरू कर दिया ! जब भी मैं घर के अन्दर या बाहर निकलूँ  तो बिल्लो रानी मेरे पास आती और अपने शरीर से   मेरे दाएं और बाएं पैर को रगड़ती और अपना प्यार जताती ! समय के साथ मेरा भी डर छूमंतर हो गया ! मैं भी बिल्लो रानी की पीठ पर और माथे पर अपनी हथेलियाँ फेरने लगा ! बिल्लो रानी को मेरा यह अंदाज इतना पसंद आता की वो अपनी ख़ुशी फर्श पर उलट-पलट करा बताती !  

जनवरी में एक दिन मैंने देखा की बिल्लो रानी और उसके बच्चों ने घर के रसोईं  में रहने का मन बना लिया है ! अब बच्चे काफी प्यारे,स्वस्थ्य और नटखट दिख रहे थे !  अब वो बक्से वाला संसार उनके लिए छोटा हो गया था !  ठण्ड भी थोड़ी कम हो गई थी ! अब मैंने मौका देखकर बच्चों को बालकनी में रख दिया और खिड़की को बंद कर दिया ! 
यह सब करने के बाद मन थोडा व्याकुल हुआ ! मैं बार बार झाँक कर देखता की बिल्लो रानी और बच्चे कैसे हैं, क्या कर रहे हैं ! पर अब उनको अन्दर रखना भी उचित  न था ! घर मैं जो भी पुराना कपड़ा और गद्दा मिला वो मैंने बालकनी में रख दिया ! सोचा यह कपडे ठण्ड से थोड़ी राहत देंगे ! 
बिल्लो रानी ने सोचा की वह अपने बच्चों को कहीं  और ले जाए पर ऊंचाई कुछ ज्यादा है  और बालकनी भी उसको पसंद आ गई आखिर कोई किराया जो न देना था ;) !! 





बालकनी में जाने के बाद 1-2 दिन मुझसे बिल्लो रानी नाराज रही ! कोने में अपने बच्चों के साथ बैठे-बैठे गुर्रा कर अपने गुस्से का इजहार करती ! मैं भी ज्यादा भाव नहीं देता उसको ! मुझे लगा की वो अब चली जायेगी क्योंकि सब कहते की बिल्ली घर बदलती रहती हैं, पर ऐसा हुआ नहीं ! पाँच - छह दिन में  बिल्लो रानी को बालकनी भा गई ! उसके बच्चे भी बहुत शरारती हो गए और आपस मैं खूब खेलते हैं अब !  बच्चों का सबसे पसंदीदा खिलौना बिल्लो रानी की पूंछ है ! बच्चे कभी कभी खिड़की पर बाहर से अन्दर की और आने का प्रयास करते हैं ! 

अब रोज सुबह शाम बिल्लो रानी और उसके बच्चों के साथ कुछ पल बिताना मेरा नियम बन गया है ! रोज शाम को घर मैं प्रवेश करते ही बालकनी की तरफ रुख करता हूँ !  बिल्लो रानी और बच्चों से मिलता हूँ ! उनसे संवाद करने की कोशिश करता हूँ ! शायद मैं ही बच्चा हो गया हूँ ! 

फ़रवरी:
जनवरी बीत गया ! बिल्लो रानी के बच्चे अब तंदरुस्त हो गए हैं ! बिल्लो रानी उनको खेल खेल में  कई दाँव पेच सिखा रही है और दूध पिलाने के अलावा छोटे छोटे मांस के टुकड़े ला कर बच्चों को नए नए स्वाद चखा रही है !

एक दिन सुबह बिल्लो रानी और उसका एक बच्चा बालकनी में नहीं दिखा ! मुझे  लगा की कहीं  वो गिर न गया हो ! थोड़ी देर ढूंढने के बाद पता चला की वो शरारती बच्चा नीचे वाले फ्लेट में मेहमाननवाज़ी फरमा रहा है ! बिल्लो रानी ने व्याकुलता भरी नज़रों से मुझे देखा ! उसके बच्चे को मैं अपनी बालकनी में ले आया !!

15 फ़रवरी 2013

10 से 13 तक ऑफिस के कार्य हेतु में दिल्ली गया था ! 13 की देर रात मे जब घर आया तो बालकनी सुनसान पाया !  मैंने एक दो बार बिल्लो रानी  को पुकारा,  कोई फायदा न हुआ ! थोड़ी निराशा हुई ,  ख़ुशी भी हुई की बिल्लो के बच्चे अब सक्षम हो गए थे !

आज सुबह में चाय पीने बाहर निकला ही था की परिसर गेट के पास बिल्लो रानी घुमती हुई मिली ! मैंने उसे बड़े प्यार से बुलाया ! वह रुकी और मेरी ओर मुड़कर देखा ! उसको देखकर मुझे कितनी ख़ुशी उसका शब्दों में  लिखना नामुमकिन है ! उसको थोडा पुचकार कर , थोड़ी थप-थपी दे कर मैं चाय पीने चला गया !!

चाय पीकर जब मैं घर आया तो बालकनी में  कुछ आवाज सुनाई दी ! जाकर देखा, बिल्लो रानी और उसके दो बच्चे  खेल रहे थे ! मुझे बहुत हैरानी और ख़ुशी हुई ! मैं मन ही मन बिल्लो रानी को धन्यवाद दे रहा था !   एक बच्चा नहीं था ! बिल्लो रानी उसको ले कर व्याकुल थी , फिर भी मैं संतुष्ट था की वो भी आ जायेगा !

17 फ़रवरी 2013
बिल्लो रानी इस दुनिया में न रही !
कल शाम को मैं घर से बाहर गया था ! आज सुबह मेरे साथी ने मुझे फोन कर के यह दुखद खबर दी ! मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की बिल्लो रानी इस तरह दुनिया से रुखसत कर जाएगी ! अभी तो उसके बच्चों ने ठीक से म्याऊँ म्याऊं करना भी नहीं सीखा  था ! शाम को जब घर की तरफ बढ़ रहा था तो मन बहुत उदास था ! बालकनी में पहुँचा तो पाया की केवल एक बच्चा कूं कूं करते हुए एक कोने में बैठा था ! साथी ने बताया की एक बच्चे को एक महिला ले गई ! तीसरे का कोई अता पता नहीं चला !

अब उस बच्चे को अकेले इधर उधर अपनी माँ और भाई बहनो को तलाशते देख मुझे बहुत दुःख हो रहा था ! बहुत भूखा था वो बच्चा ! उसको कूं कूं करते हुए सुबह से शाम हो गई थी ! रात को बाहर खाने के बाद लौटते हुए हमने  दुकान से आधा लीटर दूध और एक छोटी तश्तरी ख़रीदा ! दूध को थोडा गरम कर बिल्लो रानी के बच्चे को तश्तरी में डाल कर दिया ! पहले वो थोड़ा संकुचाया बाद मे उसने दूध जी भर कर पिया !  मैंने कभी इस दिन की कल्पना न की थी ! मुझे विश्वास था की बिल्लो रानी और उसके बच्चों को कभी मुझे दूध देने की जरुरत न पड़ेगी ! पर नियति को कुछ और ही मंजूर था !

मेरा स्नेह पा कर बिल्लो रानी के उस अकेले बच्चे को मामूली राहत मिली ! वो बाहर वाली खिड़की पर बैठ कर कूं कूं करते हुए अपने परिवार का इंतजार करता रहा !

मैं बार बार उठ कर जाता ! उस बच्चे के साथ थोडा वक्त बिताता , उसको सहलाता  और थोडा दूध हल्का गरम कर के दे देता ! पेट भर जाने के बाद उसको नींद आ गई और हमको उसके कूं कूं से थोड़ी मुक्ति मिली !

सोते हुए यही सोच रहा था की बिल्लो रानी और उसके बच्चों को भगवान् ने इस विपत्ति में क्यों डाला ! बहुत गुस्सा आया  मुझे भगवान्  और अपने ऊपर !

18 फ़रवरी 2013
 रात भर वो बाहर वाली खिड़की पर बैठ कर कूं कूं करते हुए अपने परिवार का इंतजार करता रहा ! सुबह उठ कर सबसे पहले मैंने उसको थोडा दूध दिया !  कल रात में एक कालोनी की एक महिला ने मुझसे बिल्लो रानी का बच्चा माँगा था ! मैंने उसको आज रात साढ़े आठ बजे मिलने को कहा था !  मन तो नहीं है देने का पर दे दूंगा ! उस बच्चे को जितना देखूंगा मुझे बिल्लो रानी की उतनी ही याद आएगी !

फर्जी  के कंपटीसन से भरी दुनिया में मेरे मन के भावों के लिए कोई जगह नहीं है ! लिख कर ही अपने आप को  झूठी तस्सली दे देता हूँ !
 

कभी कभी मुझे भी अपनी दशा पर हँसी आ जाती है ! पर हो जाता है यह सब ! जीवन में कुछ घटनाएँ हो जाती हैं कभी कभी जिनपर आपका कोई नियंत्रण नहीं रहता !
जो भी हो मुझे तो बस चलते जाना है ......