काश! मैं तुझसे प्यार न करता!!


मैं तेरी हर एक बात पर यूँही ऐतबार न करता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरा यूँही इंतजार न करता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरी एक झलक के लिए यूँही न तरसता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरे बनाए खाने को यूँही न चखता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरी बातों को
यूँही न सुनता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरे दर पर यूँही न रुकता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तुझे यूँही याद न करता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरे साथ यूँही न चलता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरी हर एक फ़रियाद यूँही न सुनता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !! 

नींद  मुझसे यूँही न रूठ जाती,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

अकेलापन मुझको यूँही न इतना सताता ,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

मैं तेरी जुदाई में यूँही न तड़पता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!


दीवानेपन की हद यूँही न पार कर जाता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता!!


जातपात की जटिलताओं को यूँही न भूल जाता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता!!

मैं तेरा यूँही इबादत न करता,
काश! मैं तुझसे प्यार न करता !!

:) मनोज :) सभी प्यार करने वालों को समर्पित!! आशा करता हूँ की आपको मेरी यह रचना पसंद आएगी ||

विमान यात्रा

निर्णय देरी से लेने का परिणाम :
दिनांक ५ को मुझे लखनऊ पहुंचना था | मेरे घनिष्ठ मित्र निमेष के भाई का विवाह कार्यक्रम में ६ जून सम्मिलित होना था | पिछली बार जब में घर गया था तब निमेष के पिताजी ने मुझे कहा की तुमको आना है , उस वक़्त मैं उनको इंकार न कर सका | अब समस्या यह हुई की मैंने रेल का टिकट पहले से नहीं लिया | ४ जून की रात में पता चला की तत्काल के लिए किया गया प्रयास भी विफल रहा | मैंने भी पूरा मन लखनऊ जाने का बना लिया था | हवाई जहाज का टिकट लिया | टिकट का मूल्य काफी महंगा था पर दोस्त के लिए और घर जाने के लिए मैं मन बना चुका था | यह मेरी अपने पैसे से की गई पहली हवाई यात्रा थी | विमान पत्तन पर विमान मैं बैठने वाला पास लेते समय मैंने खिड़की वाला स्थान निश्चित कराया |

मुंबई से लेकर दिल्ली तक ले जाने वाला विमान १/२ घंटा विलम्ब से आया | दिल्ली पहुँचने के बाद लखनऊ ले जाने वाले विमान के समय में ज्यादा अंतर नहीं था | एक बार मुझे लगा की लखनऊ जाने वाला विमान छूट जायेगा | में सिर्फ हैण्डबैग लेकर ही गया था | दिल्ली पहुँचाने के बाद मेरे पास सिर्फ १५ मिनट ही सेष थे | विमान से लगी सीढियों से उतरते ही मैने वंहा पर वाकी-टाकी लिये व्यक्ति को अपनी समस्या से अवगत कराया | उसने एक मिनट मैं एक बस को बुलाया और मुझे लखनऊ जाने वाले विमान तक पहुँचाया |

लखनऊ जाने वाला विमान काफी छोटा था | शायद ५० सीट ही रही होंगी | उसके पंखे खिड़की से मुझे दिख रहे थे | संध्या के ६ बजे विमान लखनऊ के लिए चला | विमान के अन्दर काफी आवाज़ आप रही थी | अँधेरा होने के कारण बाहर कुछ नहीं दिख रहा था | अधिकतर यात्री डाक्टर थे जो किसी परीक्षा के लिए जा रहे थे | मेरे बगल मैं भी एक डाक्टर बैठा था |

विमान को देखते ही मुझे बचपन मैं देखा कार्टून करेक्टर बल्लू याद आ गया | विमान काफी ज्यादा हिलडुल रहा था | ऐसा लग रहा था की किसी टूटी - फूटी सड़क पर चल रहे हों | कुछ देर बाद विमान झटके भी देने लगा | मेरे बगल वाले डाक्टर बिलकुल पसीने से तरबतर हो गए | मैंने उन्हें कुछ हौसला दिया पर सब बेकार था उस समय | कभी कभी तो ऐसा महसूस हुआ की विमान का हवा से कोई संपर्क नहीं है | कई बार विमान ऊपर नीचे हुआ | अब सबकी हालत देखने वाली थी | पता नहीं मुझे डर न लगकर रोमांच का अनुभव हो रहा था | इसके बाद अचानक बहुत जोर से झटका लगा | मैं अपनी कुर्सी से लगभग ६ इंच ऊपर गया और नीचे गिरा | अब मुझे भी क्षण भर की लिए डर लगा | अब कर भी क्या सकते थे | विगत दिनों के सारे विमान दुर्घटना याद आ रहे थे | जीवन बीमा का महत्व पता चल रहा था| बगल वाले डाक्टर साहब इतने ज्यादा परेशान हो गए की ३ पन्नी उलटी कर के भर दिया | मुझसे लखनऊ से दिल्ली जाने वाली ट्रेनों की जानकारी लेने लगे |

लखनऊ पहुँचने पर मैंने राहत की सांस ली |