जिंदगी ने मुझसे कुछ इस तरह मुँह मोड़ा

मुझे पता नहीं था कि इन पंक्तियों को लिखने के बाद इसमें छिपे सवाल का जवाब इतनी जल्दी मिल जायेगा |
मुझे जवाब बहुत पसंद आया |

वक़्त के थपेड़ों ने मुझको कुछ इस तरह निचोड़ा |
जब-जब मैंने किसी परी से दिल जोड़ा |
या तो उसने ,या मैंने , शहर छोड़ा |

कभी जात , कभी औकात बना रोड़ा |
वक़्त के थपेड़ों ने  मुझको कुछ इस तरह निचोड़ा |
जिंदगी ने मुझसे कुछ इस तरह मुँह मोड़ा |
जिंदगी ने मुझसे कुछ इस तरह मुँह मोड़ा | ;)




जवाब  गुरुदेव  कि इस कविता में मिला :
मैं अनेक वासनाओं को चाहता हूँ प्राणपण से

-- आपका मनोज :)

बूढ़ा बचपन

बूढ़ा बचपन !!


"तेरी बरात को रोशन कर रहा हूँ मैं |
अपने बचपन को कुछ इस तरह खो रहा हूँ मैं  | "

यह चित्र अपने कैमरे में लेते समय मुझे बहुत ख़राब लगा | मन में यही प्रश्न था कि मैं क्यों नहीं इतना समर्थ हूँ कि यह तस्वीर बदल सकूं ?
क्या करूँ जिससे हमारे इन नन्हे दोस्तों का बचपन बूढ़ा न हो जाए ?

-- आशावान मुसाफिर   
 -- आपका मनोज

मैं चोर हूँ

मैं चोर हूँ,
मैं,
आँखों से आंसू,
चेहरे से मायूसी,
पेट से भूख,
जिंदगी से मौत,
सीने से दर्द,  चुराता हूँ ||  :)  :)  :)

जिंदादिल

किराये की मुस्कुराहट लेकर नहीं जीता हूँ !
जिंदादिल हूँ , जिंदादिल रहता हूँ मैं ||

उल्फत

अगर जिंदगी ने उल्फत देने की ठानी है !
तो मैंने भी उनको पार करने की ठानी है !!

शुभकामनाएं

जिंदगी का हो कोई भी अमावस !!
रहे आप के पास सदा दीपावली जैसी जगमगाहट !! 

आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !!  

जिंदगी की राह में

जिंदगी की राह में --
                        इम्तिहान और सही |
                        इंतजार और सही   |
                        बेकरार और  सही  |
                        रास्ते और सही      |
                        मंजिलें और सही   |
   
                      आपकी  कोशिशों  में आए न कोई कमी ||
                      आपका  जोशे - अंदाज रहे वही |
                                     
        

इत्तेफाक

आपका इस तरह मेरे दिल के करीब आना इत्तेफाक न था |
नज़रों से नज़रों का मिलना इत्तेफाक न था |
कल शाम को आपका और हमारा टकराना इत्तेफाक न था |

नजरिया

पहले घर बड़े होते थे, उनके बीच की दीवारें नीचीं होती थीं |

अब दीवारे ऊँची होतीं हैं, उनके बीच के घर छोटे ||

तलाश

हिन्दी दिवस पर की गई प्रस्तुति :-

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि मनोज तुम शादी कब करोगे ? 
यह तो मुझे भी पता नहीं, हाँ मुझे कैसी जीवनसाथी कि तलाश है वह मुझे अच्छी तरह मालूम है :) |


वैधानिक चेतावनी : निम्नलिखित पंक्तियों का किसी से कोई लेने देना नहीं है | अगर कहीं ऐसा पाया जाता है तो इसे महज संयोग समझा जायेगा | :) :) 



रहे जो मेरे संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

हँसा दे मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझसे प्यार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

सुने जो मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

चले जो मेरे संग मिलाकर कदम से कदम हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बातों में रहे मिठास जिसके हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||


हँसे मेरे भोलेपन पर जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रखे जो मेरा ख्याल हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बाँट सकूं जिसके संग में अपना दर्द हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझसे तकरार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसे रख सकूं अपने दिल में हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

कर सकूं जिसके लिए जाँ निसार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे मीठी-मीठी बात जो मुझसे हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रोके-टोके मुझे गलतियाँ करने से जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

करे जो मुझको बर्दाश्त हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बिन कहे जो समझ जाए मेरे दिल की बात हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जोड़े रखे जो मेरा घर-बार हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसके गोद में रखकर सर पा सकूं सुकून हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बढ़ते जाए प्यार जिसके संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जीवन के अंधेरों से लड़े जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसको समझ सकूं में हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बढ़ाए जो हौसला मेरा हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जीवन का हर पल बांटे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

रह सकूँ बिंदास जिसके संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पा सकूँ जिसको मैं अपने आसपास हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

हो सिर्फ मेरे लिए जिसकी अदाएं हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

मुझसे ज्यादा जाने मुझे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पहने जो ढंग के कपड़े हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

दोस्त बन कर रहे जो हरदम ,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

तन्हाई भी बात सके जो मेरे संग हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

उमंग से भरे रहे जो हरदम,
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जो पहने ढंग के लिबास हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जो भोजन का न करे अपमान हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जिसकी हाँ में न हो ना हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

बिन पिये बहक जाऊं जिसके नशे में हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

पीर पराई समझ सके जो हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

कम से कम खर्चे मैं रह सके जो हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

जात-पात, धर्म और भाषा के आधार पर जो न करे भेदभाव हरदम |
है उस हमदम की मुझे तलाश ||

घन्यवाद !!

आशा करता हूँ कि चिट्ठा- जगत  के विद्वान भी इस रचना को पसंद करेंगे ||



-- आपकामनोज