जनलोकपाल !

नहीं जागी है अब भी सरकार !
हर तरफ फैला है भ्रष्टाचार !
प्रशासन में हैं इसके कई आकार !

ओ जनता-ए-हिसार!
हो जाओ मतदान के लिए तैयार !
जो न करे जनलोकपाल स्वीकार !
उसका करो बहिष्कार !!

मैं खोया हूँ

न जागा हूँ , न सोया हूँ !
कहीं तो मैं खोया हूँ !!

सर्वोच्च हमारी जनता है

 संसद सर्वोच्च है !!  पर उससे भी सर्वोच्च हमारी जनता है !!
पर क्या पिछले ४ महीनों में कभी हमारी सरकार ने संसद में इस मुद्दे पर कभी गंभीर चर्चा की है ? जब सरकार कमेटी बना सकती है तो उनके द्वारा बनाए गए बिल को अपने बिल के साथ क्यों नहीं रखा ?
क्या उनके पास समय की कमी थी !!
नहीं वो यह चाहते ही नहीं की एक स्वतंत्र लोकपाल आए !! क्योंकि इससे उनके क्रिया-कलापों में किये जा रहे घोटाले सामने आ जाएंगे!!
हमें हरपल की भागीदारी वाली लोकतंत्र चाहिए !! न की ५ साल वाली तानाशाही वाली !!
क्या प्रधानमंत्री , संसद सदस्य और एस पी के नीचे काम करने वाले सदस्य अमृत पी कर आए घोटाला करने के लिए !!
वित्त मंत्रालय की जानकारियों के अनुसार २००३ की तुलना में आज हमारे ऊपर तिगुना कर्जा है !!
सारे विकास कर्जों से लिए पैसे पर हुआ है दोस्तों !!

इसी तरह जब देश की आजादी के समय कोई सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाता था तो उसको मुर्ख कहा जाता था !! पर उस साम्राज्य के सूर्य भी अस्त हुआ था !!

सही कहते हैं सब भगत, गाँधी, शिवाजी चाहते हैं पर पडोसी के घर और फिल्मों में !!

मैं यह नहीं कहता की किसी की देखा-देखी हल्ला मचाओ, बस एक बार संविधान, सरकारी लोकपाल और जन-लोकपाल पढ़ो, फिर निर्णय लेना की क्या करना !!

 प्रधानमंत्री  कहते हैं -- अन्ना का रास्ता ठीक नहीं है?   दोस्तों आजादी की लड़ाई में कई रस्ते थे पर सबका  मंजिल   एक था !!  अन्ना ने एक मुद्दे को अहिंसक तरीके से अपनी माग रखी है !!  अन्ना नहीं कहते की जन लोकपाल लागू  करो !!  मांग यह है की  संसद में जनलोकपाल भी रखो और उसपर चर्चा करो !! क्या यह मांग करना  असंवेधानिक है ?

उठो , जागो,  आगे बढ़ो !!

हाँ, हम आजाद हैं

क्या जब १९४७ से पहले जनता सरकार के खिलाफ आवाज उठती थी तो क्या वो असवेंधनिक नहीं होती थी ?

कल जब कांग्रेस के माननीय प्रवक्ता ने देश के लिए संघर्ष करने वाले बुजुर्ग अन्ना हजारे पर आरोप लगाये तब पता चला की कितनी समर्द्ध है हमारी कांग्रेस पार्टी और उनके द्वारा चलने वाली सरकार !!

हाँ हम आजाद हैं :

  • सड़क पर चलने वाले बच्चों को भीख दे कर आत्मसंतुष्टि करने के लिए !!
  • निहत्थे किसानो पर अंधाधुन गोलीबारी करने के लिए !!
  • किसानो की जमीन सस्ते दामों पर खरीद कर उनको दरकिनार करने के लिए !!
  • अपने बच्चों को  महंगे  निजी विद्यालयों में भेजने पर गर्व करने के लिए और सरकारी शिक्षा व्यवस्थाओं पर कटाक्ष करने के लिए !!
  • अपनी यात्रा के लिए हवाई जहाज़ का उपयोग करने का घमंड और सरकारी परिवहन व्यवस्थाओं  पर चलने वाले लोगों पर तरस करने के लिए !!
  • अपनों के स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर निजी चिकास्तालयों में इलाज करने के सामर्थ्य पर अपने ऊपर गर्व और सरकारी चिकत्सा व्यवस्थाओं को बेकार कहने के लिए !!
  • ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं में रहने का दम भरने और झुग्गी-झोपड़ी  में रहने वोलों से मुंह मोड़ने के लिए !!
  • उन शहरों में रहने के लिए जंहा विधुत कभी नहीं जाती है और उन जगह के लोगों पर तरस खाने के लिए जहाँ  विधुत उल्का पिंड जैसे कभी-कबार पहुँचती हो !! 
  • कम और फूहड़ कपडे पहन कर अपने शरीर को परोसने के  लिए और भूखे , नंगे लचर लोगों को तिरष्कृत नज़रों से देखने के बाद यह कहने के लिए सरकार इनके लिए कुछ नहीं करती !!
  • सिर्फ वोट डालने को अपना कर्त्तव्य समझने के लिए और बाकी-सब  नेताओं पर थोपने के लिए !!
  • रीअल्टी शो और अपने मनपसंद कार्यक्रम देखने के लिए और हमारे नेता क्या करते हैं उसकी खबर न लेने के लिए !!

कोई बात ख़राब  लगे  तो माफ़ कीजिएगा, कल से थोड़ा गुस्सा में हूँ !! 

सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !!




सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !!

दिन के उजालों  में भ्रस्टाचार विरोधी  प्रश्नों  से डरती है !
सरल समस्याओं का जटिल विकल्प निकालती है !
रात के नशे में निर्दोषों को कुचलती है !
पांच साल का करार दिखाती है !
अपने को सब से अच्छा बताती है !
सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !
सरकार हमारी कुछ यूँ इतराती है !!
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इस समस्या का शांतिपूर्ण हल निकल सकता था !
४-५ की रात  जो भी हुआ उससे मुझे बहुत दुख पहुंचा है !!
समस्या को समाप्त करने का तरीका निंदनीय है !!


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तुम मुझे याद आए

एक बुद्धिमान और खूबसूरत दोस्त को समर्पित !!

जाने क्यों वो मंदिर , वो कश्ती ,  वो झूले याद आए !
जाने क्यों तुम्हारे साथ बिताए वो पल याद  आए !
जाने क्यों वो  अधूरे  अरमान याद आए !
जाने क्यों ...  .. ... तुम मुझे याद आए..  !!  :)  :)  :) 



मुझे क्या मतलब तुम्हारे भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से ?

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अपने उन दोस्तों को समर्पित जो अभी तक जागे नहीं है !!
नीचे लिखी गई पंक्तियौं  किसी व्यक्ति विशेष को आरोपित करने के लिए नहीं लिखी गई हैं !!  
मेरा मकसद ...........
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मुझको तो मिलती है महँगी शिक्षा !
मुझे क्या मतलब तुम्हारी अशिक्षा से !!

मुझको तो मिलता है घर का सुख !
मुझे क्या मतलब तुम बेघर से  !!

मुझको तो मिलता है  परिवार का सुख !
मुझे क्या मतलब तुम अनाथ से  !!

मुझको तो मिलता है भर पेट भोजन !
मुझे क्या मतलब तुम्हारी भूख ( अनशन ) से !!

मुझको तो मिलता है मिनिरल वाटर !
मुझे क्या मतलब तुम्हारी प्यास  से !!

मुझको तो मिलता है अच्छा पैकेज !
मुझे क्या मतलब तुम्हारी खाली जेब से !!

मुझको तो मिलता है अच्छा ट्रांसपोर्ट !
मुझे क्या मतलब तुम्हारी कैटल कैटगरी से !!

मुझको तो मिलता है ब्रांडेड आउट-फिट्स !
मुझे क्या मतलब तुम्हारे अनढके बदन से !!

मुझको तो मिलता लगातार बिजली का सुख !
मुझे क्या मतलब तुम्हारे अन्धकार से !!

मुझे क्या मतलब  तुम्हारे  भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से ?

मुझको तो सिर्फ चिल्लाना था !! 
अपनों के बीच वाद-विवाद में अपना वर्चस्व जमाना था | 
अंग्रेजी मैं तेरी औकात बताना था !
कान्वेंट स्कूल का हूँ मैं यह तुझको बताना था !!!
मुझको तो सिर्फ चिल्लाना था !! 

मुझको तो ओन-साईट जाना है !
खूब पैसा कमाना है !!
और उस पैसे के बल पर अपना  औकात बताना है !!

यहाँ मैं क्यों करूँ कोई जतन !
मेरे पास तो आप्शन में हैं कई विकसित वतन !!

मुझे क्या मतलब  तुम्हारे  भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से ?
मुझे क्या मतलब  तुम्हारे  भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन से ?

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:)
और कुछ ज्यादा सुनना है तो मेरे पास आ जाओ !!

अपनी-अपनी जगह से जिस भी तरह हो सके अन्ना हजारे का समर्थन करो ||


भ्रष्टाचार

तुमको चुनाव में अपनी पार्टी को जीताना है !
हमको जन-लोकपाल कानून को बनाना है !!
देश से भ्रष्टाचार मिटाना है !!!

जन-लोकपाल

तुझे मेरी बज्म में आना पड़ेगा ,
भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी आवाज़ से आवाज़ मिलाना पड़ेगा ,
जन-लोकपाल कानून को बनाना पड़ेगा |

खौफ-जदा


खौफ-जदा  हुआ हूँ  मैं अब इस कदर |
मिलने से ज्यादा बिछुड़ने का लगता है डर || :) :) :)  


कलम का साथ

कहीं पहुँच न जाये तुझ तक मेरे दिल के जज्बात !
यह सोच कर मैंने छोड़ दिया कलम का साथ !!  :)   :)  :)